“कभी कभी”
❆ काव्य रस – 1
❆ तिथि – 1 फरवरी 2019
❆ वार – शुक्रवार
❆ विषय – शृंगार रस पर काव्य रचने की एक कोशिश
कभी कभी
चन्द बाते
मुलाक़ातें
भर देती हैं
जीवन रस
कुछ बाते
रह जातीं
बन यादें
जीवन भर
हैं तड़पाती
पिया बाबरे
तुझसे मिलना
मिलकर फिर
बिछड़ना और
याद में फिर तड़पना
तेरा आना
मुझे पुकारना
कहना मुझसे
तुम मेरी हो
मैं हूँ तेरा
साजन
अब ना लगे
तेरे बिन
यह मन
इरा जौहरी
मौलिक
काव्य/श्रंगार रस
१/२/२०१९
Ira’s World
a world full of taste…
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नमस्कार साथियों आप लोगो को यह जान कर अपार प्रसन्नता होगी कि अब आप सबकी सुविधा के लिये हमारी वेवसाइट www.irajohri.com बन कर तैयार हो गयी है|अक्सर होता था कि पुरानी पोस्ट ढूँढना चाहो तो मिलती नही थी अब जो पोस्ट चाहो आसानी से मिल जाया करेगी , आप लोगो को शायद याद होगा कि कॉफी समय पहले ‘धर्मयुग ‘ आया करता था और जब हमारी पीढी पैदा भी नही हुई थी यानी धर्मयुग के प्रकाशन की शुरुआत मे इसमे बहुत सुन्दर पेन्टिंगिस छपा करती थी
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